जब से तुमको जाना है...
बे-इन्तहा प्यार किया है तुमसे...वादा करती हूँ की कभी साथ नहीं छोडूंगी ...
तुम्हारी परछाईं हूँ मैं ,
धूप में तुम्हारा साया
छांव में तुम्हारा जिस्म ओढ़ लूंगी मैं..
दरख्तों के बीच हाथ पर महसूस होने वाली ओस रहूंगी...
और सर्दी की एक अलसाई सुबह तुम्हारे चेहरे को गुनगुना एहसास देने वाली नर्म धूप बन जाऊंगी..
तुम्हरे पसंदीदा गीतों की धुन बन कर ढल जाउंगी ..
ताकि तुम्हारे बोलों के संग बह सकूं
दौड़ कर हाथ थाम लूंगी तुम्हारा..
ताकि तुम्हारे संग चल सकूं...
कभी शिद्दत से इस रिश्ते को महसूस करोगे..
तो सुबह का ख्वाब बनी रहूंगी...
और जब मुझे पुकारोगे..
तो मिल जाउंगी तुम्हे...बस..
उस पुरानी किताब के पन्नों के बीच में..
प्यार से सहेजे गए गुलाब को देख लेना...
ये वादा है मेरा तुमसे...

bahut hi achhi kavita hai,
जवाब देंहटाएंdil se dil ke liye likhi hui....